
Supreme Court : अब जज बनने की राह नहीं रहेगी आसान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा तीन साल की प्रैक्टिस अनिवार्य
RNE, NETWORK .
भारत में जज बनने का सपना देखने वाले छात्रों के लिए अब राह थोड़ी मुश्किल होने जा रही है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में नवनियुक्त सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ में आठ अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की गई जिसमें 3 साल अनुभव का मुद्दा भी सम्मिलित था कोर्ट ने इस पर मुहर लगाते हुए नए लॉ डिग्री धारकों के लिए सिविल जज कैडर में प्रवेश के लिए 3 साल का कानूनी काम-काज का अनुभव अनिवार्य कर दिया है।
केवल किताबी ज्ञान नहीं ,अनुभव जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज बनने पर व्यक्ति को विभिन्न मामलों की सुनवाई करनी पड़ती है जिसका समाधान केव ल किताबों से नहीं हो सकता उसके लिए न्यायालय की कार्यप्रणाली को समझना, वरिष्ठ वकीलों का सहयोग भी जरूरी है जिससे मामलों का निपटान तेज गति से हो सके। सीजेआई ने कहा नए जजों को न्यायिक कार्य का अनुभव न होने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नामांकन तिथि से होगी अनुभव की गणना :
नए लॉ डिग्रीधारकों के लिए अनुभव की गणना बार में नामांकन की तिथि से की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि वकीलों को यह प्रमाणित करना होगा कि उन्होंने तय न्यूनतम अवधि तक प्रैक्टिस की है। यह स्पष्ट किया गया कि अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) अलग-अलग समय पर होती है, इसलिए अनुभव की गणना अंतिम पंजीकरण की तारीख से की जाएगी।